Television Par Nibandh / Doordarshan Par Nibandh
दूरदर्शन ( टेलीविजन ) पर निबंध
ये दूरदर्शन ( टेलीविजन ) पर निबंध विभिन्न बोर्ड जैसे UP Board, Bihar Board और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं को दृश्टिगत रखते हुए लिखा गया है, अगर आपके मन सवाल हो तो comment लिख कर पूछ सकते हैं |
इस शीर्षक से मिलते-जुलते अन्य सम्बंधित शीर्षक –
- जन – शिक्षा में दूरदर्शन की भूमिका ,
- शिक्षा और दूरदर्शन ,
- दूरदर्शन की उपयोगिता ( 2004 ) ,
- दूरदर्शन : लाभ – हानि ,
- दूरदर्शन : गुण एवं दोष ,
- दूरदर्शन और समाज ( 2001 , 03 )
गंगा नदी पर निबंध की रूपरेखा
1- प्रस्तावना
कुछ समय पहले तक जब हम किसी जादूगर की कहानी में पढ़ते थे कि जादूगर ने जैसे ही अपने ग्लोब पर हाथ घुमाया वैसे ही उसका शत्रु ग्लोब पर दिखाई देने लगा और जादूगर ने उसकी सारी क्रियाओं को अपनी गुफा में बैठकर ही देख लिया , तो हमें महान् आश्चर्य होता था ।
आज इस प्रकार का जादू हम प्रतिदिन अपने घर करते हैं । स्विच ऑन करते ही बोलती हुई रंग – बिरंगी तस्वीरें हमारे सामने आ जाती हैं । यह सब टेलीविजन का ही चमत्कार है , जिसके माध्यम से हम हजारों – लाखों मील दूर की क्रियाओं को दूरदर्शन – यन्त्र पर देख सकते हैं ।
2- दूरदर्शन का आविष्कार
25 जनवरी , 1926 ई० को इंग्लैण्ड में एक इंजीनियर जॉन बेयर्ड ने रॉयल इंस्टीट्यूट के सदस्यों के सामने टेलीविजन का सर्वप्रथम प्रदर्शन किया था ।
उसने रेडियो तरंगों की सहायता से बगलवाले कमरे में बैठे हुए वैज्ञानिकों के सामने कठपुतली के चेहरे का चित्र निर्मित किया था । विज्ञान के लिए यह एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण घटना थी । सैकड़ों – हजारों वर्ष के स्वप्न को जॉन बेयर्ड ने सत्य कर दिखाया था ।
3- दूरदर्शन यन्त्र की तकनीक
दूरदर्शन यन्त्र बहुत – कुछ उसी सिद्धान्त पर काम करता है , जिस सिद्धान्त पर रेडियो । अन्तर केवल इतना है कि रेडियो तो किसी ध्वनि को विद्युत – तरंगों में बदलकर उन्हें दूर – दूर तक प्रसारित कर देता है और इसी प्रकार प्रसारित की जा रही विद्युत – तरंगों को फिर ध्वनि में बदल लेता है ,
परन्तु दूरदर्शन – यन्त्र प्रकाश को विद्युत – तरंगों में बदलकर प्रसारित करता है । रेडियो द्वारा प्रसारित की जा रही ध्वनि को हम सुन सकते हैं और दूरदर्शन द्वारा प्रसारित किए जा रहे कार्यक्रम को देख सकते हैं ।
दूरदर्शन के प्रसारण – यन्त्र के लिए एक विशेष प्रकार का कैमरा होता है । इस कैमरे के सामने का दृश्य जिस परदे पर प्रतिबिम्बित होता है , उसे ‘ मोज़ेक ‘ कहते हैं । इस मोज़ेक में 405 क्षैतिज ( पड़ी ) रेखाएँ होती हैं ।
इस मोज़ेक पर एक ऐसे रासायनिक पदार्थ का लेप रहता है ; जो प्रकाश के लिए अत्यधिक संवेदनशील होता है । इलेक्ट्रॉनों द्वारा प्रकाश की किरणें मोज़ेक पर इस ढंग से फेंकी जाती है कि वे मोज़ेक की 405 लाइनों पर बारी – बारी से एक सेकण्ड में 25 बार गुजर जाती हैं ।
मोज़ेक पर लगा लेप इस पर पड़नेवाले प्रकाश से प्रभावित होता है । किसी वस्तु या दृश्य के उज्ज्वल अंशों से आनेवाला प्रकाश तेज और काले अंशों से आनेवाला प्रकाश मन्द होता है । यह प्रकाश एक ‘ कैथोड किरण ट्यूब ‘ पर पड़ता है ।
इस ट्यूब में प्रकाश की तीव्रता या मन्दता के अनुसार बिजली की तेज या मन्द तरंगें उत्पन्न होती हैं । इन तरंगों को रेडियो की तरंगों की भाँति प्रसारित किया जाता है और ग्रहण – यन्त्र के द्वारा फिर प्रकाश में बदल लिया जाता है ।
एक विचित्र तथ्य यह है कि सीधी रेखा में चलती हुई दूरदर्शन की विद्युत – तरंगें लाखों – करोड़ों मील दूर तक सरलता से पहुँच जाती हैं , परन्तु पृथ्वी की गोलाई के कारण वे पृथ्वी के एक भाग से दूसरे भाग तक एक निश्चित दूरी तक ही पहुँच पाती हैं ।
दूरदर्शन का प्रसारण – स्तम्भ जितना ऊँचा होगा उतनी ही दूर तक उसका प्रसारित चित्र दूरदर्शन – ग्रहण – यन्त्र पर दिखाई पड़ सकेगा ।
इस बाधा के कारण पहले अमेरिका से प्रसारित दूरदर्शन – कार्यक्रम यरोप या अन्य महाद्वीपों में नहीं देखे जा सकते थे परन्तु अब कृत्रिम उपग्रहों पर प्रक्षिप्त करके इन्हें कहीं भी देखा जा सकता है ।
उपग्रहों की सहायता से अब सारी पृथ्वी के मौसम के चित्र दूरदर्शन पर देखे जा सकते हैं । अब तो विश्व में टेलीविजन चैनलों का जाल – सा बिछ गया है ।
भारतीय दूरदर्शन के साथ – साथ इस समय हम अपने ही देश में स्टार टी०वी० , जी०टी०वी० , सी०एन०एन० , ई०टी०सी० , बी०बी०सी० , एम०टी०वी० , स्टार प्लस आदि 50 से भी अधिक टेलीविजन – नेटवर्क के द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों को देख सकते हैं , अपना मनोरंजन कर सकते हैं तथा विश्व की घटनाओं से क्षणभर में परिचित हो सकते हैं ।
4- दूरदर्शन के लाभ :
दूरदर्शन अनेक दृष्टियों से लाभकारी सिद्ध हो रहा है । कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में दूरदर्शन के लाभ महत्त्व अथवा उपयोगिताओं का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है
( क ) वैज्ञानिक अनुसन्धान तथा अन्तरिक्ष क्षेत्र में दूरदर्शन के प्रयोग – दूरदर्शन का प्रयोग केवल मनोरंजन के लिए ही नहीं, अपितु वैज्ञानिक अनुसन्धान के लिए भी किया गया है।
चन्द्रमा पर भेजे गए अन्तरिक्ष यानों में दूरदर्शन – यन्त्र लगाए गए थे और उन्होंने वहाँ से चन्द्रमा के बहुत सुन्दर चित्र पृथ्वी पर भेजे । जो अमेरिकी अन्तरिक्ष – यात्री चन्द्रमा पर गए थे उनके पास भी दूरदर्शन – कैमरे थे और उन्होंने पृथ्वी पर स्थित लोगों को भी उसके तल का ऐसा दर्शन करा दिया , मानो वे भी चन्द्रमा पर ही घूम – फिर रहे हों ।
मंगल तथा शुक्र ग्रहों की ओर भेजे गए अन्तरिक्ष – यानों में लगे दूरदर्शन – यन्त्रों ने उन ग्रहों के सबसे अच्छे तथा विश्वसनीय चित्र पृथ्वी पर भेजे हैं । एक विचार है , परन्तु पृथ्वी की गाला जितना ऊँचा होगा उतना प्रसारित दूर
( ख ) चिकित्सा व शिक्षा के क्षेत्र में दूरदर्शन के प्रयोग – अन्य क्षेत्रों में भी टेलीविजन की उपयोगिता को वैज्ञानिकों ने पहचाना है ।
उदाहरण के लिए ; यदि कोई अनुभवी सर्जन एक कमरे में हृदय का ऑपरेशन कर रहा है तो उस कमरे में अधिक – से – अधिक पाँच या छह विद्यार्थी ही ऑपरेशन की क्रिया को देखकर ऑपरेशन का सही तरीका सीख सकते हैं ; किन्तु टेलीविजन की सहायता से एक बड़े हॉल में परदे पर ऑपरेशन की सम्पूर्ण क्रिया तीन – चार – सौ विद्यार्थियों को सुगमता से दिखाई जा सकती है ।
अमेरिका के कछ बड़े अस्पताला क ऑपरेशन – थिएटरों में स्थायी रूप से टेलीविजन के यन्त्र लगा दिए गए हैं . जिससे महत्त्वपूर्ण ऑपरेशन का क्रियाए टेलीविजन द्वारा परदे पर विद्यार्थियों को दिखाई जा सकें । ”
( ग ) उद्योग और व्यवसाय के क्षेत्र में दरदर्शन के प्रयोग – उद्योग और व्यवसाय के क्षेत्र में टेलीविजन महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है ।
कुछ ही दिन हुए, अमेरिका की एक औद्योगिक प्रदर्शनी में यह दिखाया गया था कि किस प्रकार टेलीविजन की सहायता से दूर से ही इंजीनियर भारी बोझ उठानेवाली क्रेन का परिचालन कर सकता है।
यद्यपि क्रेन इंजीनियर की दृस्टि से परे रहता है परन्तु क्रेन का चित्र टेलीविजन के परदे पर हर क्षण रहता है ; अत : दूर बैठा हुआ इंजीनियर कल – पुर्जों की सहायता से क्रेन का समुचित रूप से परिचालन करने में समर्थ होता है ।
5- भारत में दूरदर्शन
भारत में दूरदर्शन का पहला केन्द्र नई दिल्ली में 15 सितम्बर , 1959 ई० में प्रारम्भ हुआ था । प्रायोगिक रूप में तब इसके प्रसारण को केवल दिल्ली और उसके निकट के क्षेत्रों में ही देखा जा सकता था ।
प्रारम्भ में दूरदर्शन के प्रसारण की अवधि मात्र साठ मिनट की थी तथा इसके प्रसारण को सप्ताह में दो बार ही देखा जा सकता था । धीरे – धीरे सन 1963 ई० में दूरदर्शन के कार्यक्रमों में नियमितता आई । वर्ष 1975 – 76 में ‘ साइट ‘ कार्यक्रम के अन्तर्गत उपग्रह – प्रसारण का सफल परीक्षण किया गया । सन् 1983 ई० में इनसेट – 1बी का सफल प्रक्षेपण हुआ ।
वास्तव में यह दूरदर्शन के लिए वरदान सिद्ध हुआ । इस वर्ष देश में 45 ट्रांसमीटरों तथा 7 केन्द्रों की स्थापना हुई । देश की २८ प्रतिशत जनसंख्या तक दूरदर्शन की सीधी पहुँच बनी । 1982 ई० का वर्ष भारतीय दूरदर्शन का स्वर्णिम वर्ष था ।
अभी तक दूरदर्शन के कार्यक्रम श्वेत – श्याम ( ब्लैक एण्ड व्हाइट ) थे । 15 अगस्त , 1982 ई० से टेलीविजन पर रंगीन कार्यक्रमों का प्रसारण आरम्भ हुआ और इसके राष्ट्रीय कार्यक्रमों की नींव डाली गई । सन् 1984 ई० में 172 ट्रांसमीटरों की स्थापना की गई और दूरदर्शन देश की आधी जनसंख्या तक पहुँच गया ।
17 सितम्बर , 1984 ई० को दिल्ली में तथा 1 मई , 1985 ई० को मुम्बई में दूसरे चैनल का आरम्भ हुआ । अप्रैल 1984 ई० में कार्यक्रमों का समय बढ़ाया गया और इसकी अवधि 60 से 90 मिनट कर दी गई ।
एक सरकारी सूचना के अनुसार अब दूरदर्शन कार्यक्रमों की पहुँच देश की 76 करोड़ जनसंख्या तक हो गई है । दूरदर्शन के 558 टान्समीटरों के माध्यम से देश के 65 प्रतिशत क्षेत्र में रहनेवाली 84 प्रतिशत जनसंख्या को दरदर्शन के कार्यक्रम उपलब्ध हैं ।
सभी केन्द्रों को मिलाकर दूरदर्शन द्वारा प्रति सप्ताह लगभग 488 घण्टे का प्रसारण किया जा रहा है । विदेशी टेलीविजन कार्यक्रमों की प्रतिस्पर्धा ने भारतीय दूरदर्शन को भी प्रभावित किया है । इस दृस्टि से दूरदर्शन के कार्यक्रमों के विस्तार की आवश्यकता अनुभव की गई ।
इसके अतिरिक्त दूरदर्शन सम्बन्धी कार्यक्रमों में गुणवत्ता तथा विविधता भी आवश्यक थी । परिणामत : 15 अगस्त , 1993 ई० को केन्द्रीय सरकार ने उपग्रह की हायता तथा डिश – ऐण्टीना के माध्यम से दूरदर्शन के पांच नए उपग्रह चैनेल आरम्भ किए ।
मार्च 2003 में एक इंग्लिश न्यूज़ चैनल ‘टुडे नैटवर्क ‘ आरम्भ किया गया है , जो चौबीसों घण्टे देश – विदेश के समाचारों का प्रसारण कर रहा है । टी०वी० के सरकारी चैनल दूरदर्शन के अपने लगभग 30 चैनल कार्यरत हैं , जिनमें से कुछ की सेवाएँ विदेशों को भी प्रदान की जा रही हैं । विशेष रूप से 12 ‘अरब’ राष्ट्रों में से अधिकांश को रहा है ।
डी०डी० न्यूज नामक दूरदशन चैनल पर चौबीस घण्टे समाचार का प्रसारण किया जाता है । इसके अतिरक्ति स्टार न्यूज , एन० डी० टावी , आज तक , सहारा राष्ट्रीय , सहारा उत्तर प्रदेश एवं ‘ उत्तराखण्ड जैसे चैनल भी समाचार प्रसारित करने में संलग्न है ।
इन चैनेलों के माध्यम से मनोरंजन , खेल – कूद , सांस्कृतिक , सामाजिक तथा व्यापारिक कार्यक्रमों को गति मिलेगी और देश का अधिकांश क्षेत्र दूरदर्शन के कार्यक्रमों से जुड़ सकेगा ।
6- उपसंहार
इस प्रकार टेलीविजन हमारे मनोरजन का सशक्त माध्यम है । भीड़ – भरे स्थलों पर विशिष्ट समारोहों में क्रीडा – प्रतियोगिताओं में तथा जहाँ हम सरलता से नहीं पहुँच सकते , टेलीविजन के माध्यम से वहाँ पर उपस्थित रहने जैसा सुख प्राप्त करते हैं ।
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