by D Srivastva | Mar 25, 2020 | All Posts, Board Exams, Class 10th, Hindi Language, Jeevan Parichay, Language
Surdas ka Jeevan Parichay in Hindi
(Short Note on Surdas in Hindi)
हिंदी के प्रमुख लेखकों और कवियों के जीवन परिचय के क्रम में हम आज आपके लिए एक और महत्वपूर्ण कवि सूरदास का जीवन परिचय (Surdas ka Jeevan Parichay) लेकर आये हैं सूरदास हिंदी साहित्य के महान कवि थे, उनकी पद शैली भाषा के विभिन्न रूपों को संजोती नज़र आती है। सूरदास की भाषा शैली और काव्य विशेषताएं आदि के बारे में जानकारी के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें व लेख के अंत में कम्मेंट के माध्यम से अपने विचार भी हमारे साथ जरूर साँझा करें |
Surdas Ka Jivan Parichay
जीवन परिचय– अष्टछाप के महाकवि सूरदास जी का जन्म सन 1478 ई॰ में हुआ। इन्हे परम कृष्ण भक्त के रूप में भी जाना जाता है |
इनके जन्म स्थान को लेकर विद्वानों मे मतभेद हैं। कुछ विद्वान इनका जन्म स्थान दिल्ली तथा फरीदाबाद के बीच सीही (Sihi) में मानते हैं तो कुछ आगरा के समीप ‘रुनकता या रेणुका’ क्षेत्र को मानते हैं | इन्हे यह सारस्वत ब्राह्मण तथा चंद्रबदराई के वंशज माने जाते हैं।
महाकवि सूरदास बचपन से ही यह विलक्षण प्रतिभा के स्वामी तथा गायन में निपुण थे, इसलिए इन्हे बचपन में ही समाज में ख्याति प्राप्त हो गई थी। किशोरावस्थ आते-आते इनका संसार से मोह भंग होने लगा था और ये सबकुछ त्याग मथुरा के विश्राम घाट चले गए थे।
यहाँ कुछ दिन बिताने के बाद वे वृंदावन (मथुरा) के बीच यमुना किनारे गांव घाट पर रहने लगे थे। यहीं पर उनकी भेंट स्वामी बल्लभाचार्य से हुई तथा उन्होंने अब उन्हें अपना गुरु बना लिया। जब सूरदास जी ने बल्लभाचार्य जी को गुरु बनाया उससे पहले ही वे भगवान श्री कृष्ण से संबंधित विनय व दास्य भाव के पद का गायन करते थे, परंतु अपने गुरु की प्रेरणा के बाद में उन्होंने सख्यए वात्सल्य व माधुर्य भाव के पदों की भी रचना की।
इन्हें श्रीनाथजी के मंदिर में भजन कीर्तन के लिए नियुक्त किया गया था। सूरदास जी नेत्रहीन थे परंतु यहअभी तक तय नहीं हो पाया कि यह जन्म से देखने में असमर्थ थे अथवा बाद में हुए। श्रीनाथजी के मंदिर के समीप ही स्थित ‘परसौली’ नामक गांव में संन् 1583 ई॰ में ये ब्रम्ह में लीन हो गए।
सूरदास की आयु “सूरसारावली‘ के अनुसार उस समय ६७ वर्ष थी।
सूरदास की रचनाएं- (Surdas Ki Rachnayen )
सूरदास जी का पाँच लिखित ग्रन्थ पाए जाते हैं:
- सूरसागर – जो सूरदास की प्रसिद्ध रचना है। जिसमें सवा लाख पद संग्रहित थे। किंतु अब सात-आठ हजार पद ही मिलते हैं।
- सूरसारावली
- साहित्य-लहरी – जिसमें उनके कूट पद संकलित हैं।
- नल-दमयन्ती
- ब्याहलो
- ‘पद संग्रह’ दुर्लभ पद
इनमें अंतिम दो संग्रह अप्राप्त हैं |
नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित हस्तलिखित पुस्तकों की विवरण तालिका में सूरदास के 16 ग्रन्थों का उल्लेख है।
- सूरसागर
- सूरसारावली
- साहित्य लहरी
- नल-दमयन्ती
- ब्याहलो
- दशमस्कंध टीका
- नागलीला
- भागवत्
- गोवर्धन लीला
- सूरपचीसी
- सूरसागर सार
- प्राणप्यारी
ग्रन्थ सम्मिलित हैं। इनमें प्रारम्भ के तीन ग्रंथ ही महत्त्वपूर्ण समझे जाते हैं, साहित्य लहरी की प्राप्त प्रति में बहुत प्रक्षिप्तांश जुड़े हुए हैं।
-
साहित्य लहरी, सूरसागर, सूर की सारावली।
श्रीकृष्ण जी की बाल-छवि पर लेखनी अनुपम चली।।
श्रोत: विकी पीडिया
सूरदास की काव्यगत विशेषताएं-
सूर साहित्य के आधार पर आपकी काव्यगत विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
भक्ति भावना- सूरदास जी पुष्टि-मार्ग में दक्ष थे। अतः उन्होंने श्रीकृष्ण को अपना आराध्य मानकर उनकी लीलाओं का वर्णन अधिकांशत पुष्टिमार्गीय सिद्धांतों के अनुरूप ही किया है |
सूरदास ने विनय व दास्य-भाव के पदों की रचना भी की है, परंतु वह इन सभी पदों की रचना इस संप्रदाय में दीक्षित होने के से पूर्व ही रचे गए कर दिया था।
उन्होंने अपने काव्य में नवधा-भक्ति के साधनों-कीर्तन एवं समरण आदि को स्वीकार किया है। सूरदास ने अपने पदों की रचना में माधुर्य-भक्ति व प्रेमा भक्ति का अधिक प्रयोग किया है, इसके लिए उन्होंने गोपियों में राधा को माध्यम बनाया है। यथा –
अखियाँ हरि दरसन की भूखी कैसे रहे रूप रसरांची ये बतियाँ सुनी रूखी।
वात्सल्य वर्णन- सूरदास वात्सल्य पदों की रचना में अद्वितीय हैं। उन्होंने अपने काव्य रचना में बालक श्री कृष्ण की बाल क्रीणाओं का बड़े ही भाव से रचा है, जैसे लगता है की उन्होंने को चित्र ही प्रस्तुत कर दिया हो।
उनका वात्सल्य वर्णन अपने आप में सम्पूर्ण है क्योंकि उन्होंने ये बताया है की कैसे श्री कृष्ण की बाल क्रीड़ा देखा कर पिता नंद जी और माँ यशोदा उल्लसित होतें है।
जब सूरदास जी ने बाल लीला के पदों की रचना की तो मानो वात्सल्य रस का सागर ही भर दिया हो, कभी कृष्ण के जन्म का, ल सरकने का, कभी गाय चराने का तो कभी चंद्रमा के लिए बाल हठ करने का ऐसा सजीव वर्णन किया है मानो सब उन्होंने अपने आँखों से देखा हो।
मैया कबहुं बढेगी चोटी?
किती बार मोहिं दूध पियत भई, यह अजहु है छोटी।
श्रृंगार वर्णन- महा कवी ने अपने काव्य में श्रृंगार रस का भी खूब रसा स्वादन किया है, उन्होंने अपनी रचना जमे विशद व व्यापक वर्णन किया है।
उन्होंने श्रृंगार कृष्ण की लीलाओं का सजीव वर्णन करते हुए राधा-कृष्ण तथा गोपियों के साथ उनकी उपस्थिति का चित्रण किया है। अधिकांशतः उन्होंने संयोग श्रृंगार का मर्यादित वर्णन किया है परंतु यदा कदा उसमें अश्लीलता का समावेश हो गया है।
प्रकृति वर्णन- सूरदास जी ने अपने काव्य रचना में प्रकृति का सुंदर और सजीव वर्णन किया है, उनके उनके आराध्या श्री कृष्णा का क्रीड़ा स्थल ही प्राकृतिक दृश्यों और जंगलों से संपन्न ब्रजभूमि थी, अतः ऐसी दशा में सूरदास द्वारा प्रकृति चित्रण बहुत ही सजीव ढंग से किया गया जिससे काव्य का भाव और परिलक्षित होता है।
सामाजिक पक्ष- सूरदास जी ने समाज के विविध रूप की झांकी जैसे सामाजिक रीतियों, सांस्कृतिक परंपराओं, पर्वों प्रस्तुत करते हुए अधिकांश कृष्ण लीला का वर्णन किया, हालांकि लोक-मंगल की कामना या समाज का उससे कोई सीधा संबंध तो नहीं है परंतु परोक्ष रूप से उन्होंने समाज की अनेक झांकियां प्रस्तुत की है। उ
गीति काव्य- सूरदास जी ने अपने प्रमुख ग्रंथ सूरसागर अलग-अलग अध्यायों में बाँटा तो है, परंतु उसमें महाकाव्य का लक्षण नहीं है।
सूरदास जी के पद आज भी संगीतज्ञ के लिए कण्ठहार बने हुए हैं क्योंकि उन्होंने अपने सभी पदों में गीतिकाव्य के तत्वों यथा संक्षिप्तता, भावों की तिव्रानुभूति और संगीतात्मक आदि का सम्मिलित किया है।
हास्य पक्ष- सूर का भ्रमरगीत वियोग-शृंगार का ही उत्कृष्ट ग्रंथ नहीं है, उसमें सगुण और निर्गुण मार्ग का भी वर्णन हुआ है। इसमें विशेषकर उद्धव-गोपी संवादों में हास्य-व्यंग्य का भी रसास्वादन कर सकते हैं |
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने सूर के बारे में लिखा है-
-
सूरदास जब अपने प्रिय विषय का वर्णन शुरू करते हैं तो मानो अलंकार-शास्त्र हाथ जोड़कर उनके पीछे-पीछे दौड़ा करता है। उपमाओं की बाढ़ आ जाती है, रूपकों की वर्षा होने लगती है।
सूरदास की भाषा शैली
भाषा शैली- सूरदास जी की भाषा साहित्यिक ब्रजभाषा है, जिसमें उन्होंने संस्कृत के तत्सम शब्दों के साथ देशज और तद्भव शब्दों का आंशिक रूप से प्रयोग किया है।
सूरदास जी की भाषा प्रसाद एवं माधुर्य गुणों से युक्त है। आपके द्वार प्रयोग की गई भाषा में शब्द एवं अर्थ दोनों प्रकार के अलंकारों का प्रयोग हुआ है।
इनकी रचनओं में अनुप्रास, रूपक अलंकार का वृहद् प्रयोग प्रचुर मात्रा किया है। सूर ने वार्तालाप शैली का बहुत चतुराई से प्रयोग किया है, इन्होने छोटे से पद में भी इस शैली का प्रयोग किया है।
सूरदास ने अपनी भाषा में तर्क शैली के लिए लोकोक्तियों और सुक्तियों का पर्याप्त मात्रा में उल्लेख किया हैं।
इनके साहित्य में वात्सल्य, भक्ति, शांत, और श्रृंगार रसों का खुलकर प्रयोग हुआ है।
Surdas ka Jeevan Parichay से जुड़ा यह लेख आपको जरूर पसंद आया होगा। अपने विचार commnet box जरूर साँझा करें ताकि हम आपके लिए और अधिक बेहतर तरिके से आपको जानकारी दे सके।
by D Srivastva | Feb 7, 2020 | All Posts, Board Exams, Class 10th, English Language, Language
Verb Meaning In Hindi
Parts of Speech में Verb बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, अंग्रेजी को अच्छे से समझने के लिए Verb को जानना बहुत जरूरी है, इस पोस्ट में Verb Meaning In Hindi पर हम विस्तृत चर्चा करेंगे |
इन वाक्यों को देखें (verb in Hindi meaning):
Ram is eating.
I have a car.
Children dance.
Radha had four frocks.
She was taught.
Sandeep is intelligent.
वाक्यों की संरचना ( Formation ) में क्रियाओं ( Verbs ) की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है । उपर्युक्त वाक्यों में आये शब्द is eating, dance, was taught, have had तथा is से पता चलता है कि इनमें से प्रथम तीन ( first three ) कोई – न – कोई कार्य सम्पन्न होने की सूचना देते हैं । have/had से अधिकार / स्वामित्व / सम्बन्ध ( Possession / Ownership / Relation ) तथा is से दशा ( Condition ) का बोध होता है । ऐसे शब्दों को Grammar की भाषा में Verbs कहते हैं । अतः हम कह सकते हैं कि –
- A verb is a word that denotes an action, state or possession.
- A verb is a word that says something about a subject.
Verb एक ऐसा Word है जिससे किसी कार्य के होने, अधिकार या अवस्था का बोध होता है । इसे और स्पष्ट रूप से समझने के लिए हम निम्नलिखित वाक्यों में Verbs के प्रयोग पर गौर करें –
1- Verbs denoting Actions ( कार्य कलाप बोधक क्रियाएँ ):
The horse runs. We are walking.
The earth moves. Cows were fed.
They will play. I read English.
2- Verbs denoting Possession / Relation ( अधिकार / सम्बन्धबोधक क्रियाएँ ):
I have a computer.
King Dashrath had three queens.
He has a sound knowledge of English.
They have a beautiful house.
3- Verbs denoting State / Condition. ( अवस्था / दशाबोधक क्रियाएँ ) :
I am ready. The patient is out of danger.
He was absent. They were intelligent.
His family is happy. Mohan is busy.
Kinds of Verbs
वाक्य में प्रयोग के आधार पर Verbs दो प्रकार के होते हैं –
- Main / Principal / Ordinary / Full Verbs – मुख्य क्रिया
- Auxiliary / Helping Verbs – सहायक क्रिया ।
1- Main Verb (मुख्य क्रिया)
यह क्रिया वाक्य में मुख्य काम करती है । इसे Principal / Ordinary / Full Verb भी कहते हैं । जब वाक्य में एक ही Verb हो तो उसे Main Verb कहते हैं । ऐसे Verbs का का अपने आप में पूर्ण ( Complete ) होता है । निम्न वाक्यों में Red Words Main Verbs हैं –
Ram reads a book. They can do this work.
He is going. You will go.
2- Auxiliary Verb
The verbs which are used together with main verbs to help them in the formation of tense, voice, mood, etc . are called auxiliary or helping verb.
वह Verb जो Main Verb को Tense, Voice, Mood इत्यादि बनाने में सहायता कर Auxiliary Verb कहलाता है । इसे Helping Verb भी कहते हैं ।
निम्नलिखित वाक्यों में Red Words Auxiliary Verbs है –
They have eaten. He will do this work.
Ram is reading a book. You should help me.
Auxiliary Verbs की संख्या 24 है, जो निम्नलिखित हैं
am |
Is |
Was |
Were |
Do |
Does |
Have |
Has |
Had |
Ought to |
Should |
Must |
Can |
Could |
May |
Might |
Shall |
Will |
Would |
Need |
Dare |
Did |
Are |
Used To |
ध्यान दें:
इन 24 Auxiliary Verbs में से कुछ verbs ऐसे हैं, जिनका प्रयोग Main Verbs तथा Auxiliary Verbs दोनों ही रूप में हो सकता है ।
निम्नलिखित वाक्यों को गौर से पढ़ने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि कुछ Auxiliary Verbs, Main Verbs के रूप में किस प्रकार प्रयुक्त होते हैं ।
He is a teacher. ( Is – Main Verb )
He is eating. ( Is – Auxiliary Verb )
Rekha has a car. ( Has – Main Verb )
Rekha has gone. ( Has – Auxiliary Verb )
I did it. ( Did – Main Verb )
I did not swim. ( Did – Auxiliary Verb )
ध्यान दें:
- जब Sentence में एक ही ( Single ) Verb हो तो वह Main Verb होता है । जैसे-
He has an elephant. ( Has – Main Verb )
We are students. ( Are – Main Verb )
- जब किसी Sentence में दो या दो से अधिक ( two or more than two ) Verbs एक ही साथ आये हों तो अन्त में आने वाला Verb Main Verb ‘ होता है तथा अन्य Verbs ‘Auxiliary Verbs’ होते हैं । जैसे-
Ram has been playing.
Has – Auxiliary Verb
Been – Auxiliary Verb
Playing – Main Verb
I have been an engineer.
Have – Auxiliary Verb
Been – Main Verb
Object to the Verb in Hindi
हम जानते हैं कि वाक्य में Verb का Effect ( फल ) Subject पर पड़ता है । इसके अलावा Verb का Effect कुछ अन्य शब्द या शब्द – समूहों ( group of words ) पर भी पड़ता है । कर्ता के अलावे क्रिया का फल जिस शब्द या शब्द – समूह पर पड़ता है उसे हम उस क्रिया का Object ( कर्म ) कहते हैं । Object प्रायः कोई Noun / Pronoun / Noun Phrase / Noun Clause होता है |
Object पता करने के लिए Verb के साथ What / Whom ( क्या / किसको ) लगाकर । प्रश्न करते हैं । इस प्रश्न का जो उत्तर मिलता है वही उस Verb का Object होता है ।
अगर कोई उत्तर नहीं प्राप्त हो तो यह समझना चाहिए कि दिये गये Verb का कोई Object नहीं है ।
निम्नलिखित वाक्यों पर गौर करें ।
- Children like sweets.
like what? – sweets
क्या पसंद करते हैं? – मिठाइयाँ
अतः उपर्युक्त वाक्य में Verb ‘like’ का object sweets हुआ ।
- My father reads a novel.
reads what? – novel.
क्या पढ़ते हैं? उपन्यास
अतः उपर्युक्त वाक्य में Verb ‘reads’ का Object novel हुआ ।
- Her mother loves her very much.
loves whom? – her.
किसे प्यार करती है? उसे
अतः उपर्युक्त वाक्य में Verb ‘loves’ का object her हुआ ।
- I love the beautiful objects of Nature… ( मैं प्रकृति के सुन्दर उपादानों को प्यार करता हूँ । )
love whom? – the beautiful objects of Nature.
किसे प्यार करता हूँ? – प्रकृति के सुन्दर उपादानों को
अतः उपर्युक्त वाक्य में Verb ‘love’ का Object the beautiful objects of Nature हुआ ।
- Ram is going to market.
Going what? – No reply
क्या जा रहा है? – कोई जवाब नहीं
Going whom? – No reply.
किसे जा रहा है? – कोई जवाब नहीं
अतः उपर्यक्त वाक्य में Verb ‘is going’ का कोई Object नहीं है ।
- Mohan laughs.
Laughs what? – No reply
क्या हँसता है? – कोई जवाब नहीं
Laughs whom? – No reply.
किसे हँसता है? – कोई जवाब नहीं
अतः उपर्युक्त वाक्य में Verb ‘laughs’ का कोई Object नहीं है ।
Verb Meaning In Hindi: Transitive and Intransitive
Main Verbs या Principal Verbs को दो भागों में बाँटा गया है –
- Transitive Verb ( सकर्मक क्रिया ) – That which requires an object.
- Intransitive Verb ( अकर्मक क्रिया ) – That which requires no object.
Transitive Verb
- The verb used with an object is called a transitive verb.
- The verb which takes an object is transitive.
- A transitive verb is that which requires an object.
जिस Verb के बाद Object का प्रयोग हआ हो, उस Verb का Transitive Verb कहते हैं |
Examples:
Mohan plays cricket. He eats bread.
I like the season of winter. He knows me.
You have helped my family. They sing songs.
उपर्युक्त वाक्यों में cricket, bread, the season of winter, me, my family तथा songs, Objects ( कम ) हैं । अतः इनके पहले प्रयोग में आए Verbs क्रमशः plays, eats like, knows, helped तथा sings, Transitive Verbs हुए ।
Intransitive Verb
- The verb used without an object is called an intransitive verb.
- The verb which takes no object is intransitive.
- An intransitive verb is that which does not require an object.
जिस Verb के बाद Object का प्रयोग नहीं हो, उस Verb को Intransitive Verb कहते हैं ।
Examples:
Ram goes to the market. Mohan laughs.
She sleeps. I get up early in the morning.
He writes slowly. We run on the road.
उपर्यक्त वाक्यों में कोई Object ( कर्म ) नहीं है । अतः प्रयोग में आए verbs goes, laughs, sleeps, getup, writes तथा run – Intransitive Verbs हैं ।
कोई Verb Transitive है या Intransitive इसका निश्चय करने में Verbs के प्रयोग पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए । कुछ ही Verbs हैं, जिनके बाद Objects किसी भी स्थिति में नहीं आते हैं और वे हमेशा Intransitive Verbs के रूप में प्रयुक्त होते हैं जैसे Go, Come, Sleep, Walk, Move, Fly, Die, Spit, Sneeze इत्यादि ।
अधिकांश Verbs के प्रयोग दोनों ही प्रकार से हो सकते हैं । जब इनके बाद Objects रहते हैं तब ये Transitive कहलाते हैं और जब इनके बाद Objects नहीं रहते हैं तब ये Intransitive कहलाते हैं ।
अतः हमें यह नहीं समझना चाहिए कि Eat, Drink, Read, Beat, Sing इत्यादि Verbs हमेशा Transitive Verbs के रूप में ही प्रयोग में आते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि जब तक Verb के बाद Object का प्रयोग नहीं होगा तब तक उस Verb को हम Transitive Verb नहीं कहेंगे ।
निम्नलिखित Verb Meaning In Hindi में वाक्यों को समझकर अपना Concept Clear करें-
Intransitive Verb
|
Transitive Verb
|
I drink |
I drink water |
My father eats |
My father eats bread. |
My mother reads |
My mother reads the Ramayan |
The Church bell rang |
The peon rang the bell |
The eagle is flying |
He is flying a kite |
He speaks too slowly |
He speaks the truth |
The glass broke |
He broke the glass |
Mohan is singing in the garden |
Mohan is singing a song |
Transitive Verbs with Double Objects
कुछ Transitive Verbs ऐसे होते हैं जिन्हें दो Objects की आवश्यकता होती है, केवल एक से काम नहीं चलता । जैसे — Give, Tell, Teach, Offer, Promise इत्यादि । निम्नलिखित Examples पर गौर करें-
Subject
|
Transitive verb
|
Indirect Object
|
Direct Object
|
Ram |
Gave |
Me |
A book |
They |
Asked |
Me |
A question |
She |
Brought |
Us |
Food |
He |
Told |
Boys |
A story |
The Magistrate |
Fined |
Them |
Fifty rupees |
The news |
Caused |
Him |
Trouble |
I |
Taught |
Student |
English |
He |
Promised |
Me |
His help |
The stranger |
Offered |
Me |
coffee |
इस प्रकार हम देखते हैं कि कुछ Transitive Verbs को दो Objects की आवश्यकता होती है, जिनमें एक कोई व्यक्ति या प्राणीसूचक Object होता है और दूसरा Object वस्तुसूचक ।
इस स्थिति में व्यक्तिसूचक Object को Indirect Object तथा वस्तुसूचक Object को Direct Object कहते हैं ।
Direct और Indirect Object को पहचानने का एक और तरीका है । साधारणतः वाक्य में पहले Indirect Object और उसके बाद Direct Object का प्रयोग होता है । यदि Indirect Object को Direct Object के बाद रखा जाता है, तो Indirect Object के पहले ‘ to ‘ या ” for preposition का प्रयोग होता है । जैसे
1. He gave me an apple. या He gave an apple to me.
2. I teach students English. या I teach English to students.
आशा है कि Verb Meaning In Hindi के इस लेख को पढ़ कर आपका वर्ब के सम्बंधित ज्ञान में वृद्धि हुई होगी | अगर आपको ये लेख पसंद आये तो आप इसे अपने Facebook, Whatsapp और twitter पर शेयर कर सकते हैं |
by D Srivastva | Feb 5, 2020 | All Posts, Board Exams, Class 10th, English Language, Language
What Is Noun in Hindi | नाउन किसे कहते हैं
अंग्रेजी व्याकरण में Parts of Speech का बहुत महत्व है, किसी भी व्यक्ति को यदि English की समझ को बढ़ाना है तो Parts of Speech को बेहतर ढंग से जानना परम आवशयक है | What Is Noun in Hindi में हम noun के विषय में विस्तार से चर्चा करेंगे |
इन्हे भी पढ़ें :
इन वाक्यों को ध्यान से देखें –
Ram is a doctor.
There is a pen on the table.
Is there any water here?
The cow is black.
India is a great country.
Kindness is precious.
He comes from Allahabad.
His honesty is admirable.
इसी तरह की जानकारिया hindi me jankari
उपर्यक्त वाक्यों में आए शब्द Ram तथा Doctor व्यक्तियों के नाम हैं, Cow एक जानवर का नाम है, India, Country और Allahabad स्थान के नाम है, Pen, Table और Water वस्तुओं के नाम हैं, Kindness तथा Honesty मानवीय गुणों के नाम हैं । इस प्रकार से संसार में अनेक नाम हैं । इन समस्त नामों को हम Grammar की भाषा में Noun कहते हैं । ।
- A noun is the name of a person, place, animal, thing, human quality/idea/experience/feeling.
- A noun is a word that is used as the name of anything. A noun is the name of anything.
- All naming words are nouns.
किसी व्यक्ति, स्थान, पशु, वस्तु या मानवीय गुण / विचार / अनुभव इत्यादि के नाम को Noun कहते हैं ।
Types of Noun in Hindi: पारम्परिक व्याकरण के अनुसार Noun के पाँच भेद हैं
- Proper Noun ( व्यक्तिवाचक संज्ञा )
- Common Noun ( जातिवाचक संज्ञा )
- Collective Noun ( समूहवाचक संज्ञा )
- Material Noun ( द्रव्यवाचक संज्ञा )
- Abstract Noun ( भाववाचक संज्ञा )
Proper Noun In Hindi
A proper noun is the name of a particular person, place or thing. किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान इत्यादि के विशेष नाम को Proper Noun कहते हैं ।
Examples:
Particular Person Ram Shyam, Shivam, Tom, Kuldip, Karim
Particular Place Rampur, Patana, Gorakhpur, Delhi, Kanpur
Particular Animal Pussy (Name Of a Particular Cat) Tommy (Name of a Particular Dog)
Particular Day and Month Sunday, Monday, June, July
Common Noun in Hindi
A Common Noun is the common ( समानधर्मी ) name of a class of person, place or thing.
जिस Noun से किसी विशेष या खास व्यक्ति, वस्तु या स्थान का बोध नहीं हो बल्कि । उससे समस्त जाति, प्रजाति या श्रेणी का बोध हो, उसे Common Noun कहते हैं ।
Nouns Common का अर्थ — ‘ जो सब में शामिल हो ‘ ( Shared in common by everything of the same class or kind ) है
Ram is a proper noun but a doctor is a common noun.
Ritika is a proper noun but a girl is a common noun.
India is a proper noun but a country is a common noun.
Kolkata is a proper noun but the city is a common noun.
The Ramayan is a proper noun but the book is a common noun.
The Yamuna is a proper noun but the river is a common noun.
Tomi is a proper noun but a dog is a common noun.
The Hindustan is a proper noun but a newspaper is a common noun.
Collective Noun
A collective noun is the name of a number of persons or things considered as one.
वह Noun जिससे एक ही प्रकार के व्यक्तियों या वस्तुओं के समूह या झुंड का बोध हो, उसे Collective Noun कहते हैं ।
Examples:
Class (वर्ग)
Crowd (भीड)
Army (सेना)
Flock (झुंड)
Team (दल)
Family (परिवार)
Committee (समिति)
Bunch (गुच्छा)
Band (दल)
Gang (समूह)
Mob (उत्तजित भीड़)
Group (समूह)
Bunch of flowers कहने से फूलों के गुच्छे का बोध होता है । Team of players कहने से खिलाड़ियों के दल का बोध होता है । उसी प्रकार गायकों के दल को Band of musicians और अपराधियों के समूह को Gang of criminals कहते हैं ।
Material Noun
A material noun is the name of a substance that is eaten, drunk, measured and weighed but not counted.
नापी – तौली जानेवाली वस्तु के नाम को Material Noun कहते हैं । ये ऐसी वस्तुओं का बोध कराते हैं जिन्हें हम खाते, पीते या नापते और तौलते हैं । ऐसी वस्तुओं को गिना नहीं जा सकता । ये परिमाण ( Mass ) को अभिव्यक्त ( Express ) करते हैं ।
Examples:
Water (पानी),
Oil (तेल),
Silver, Butter (मक्खन)
Milk (दूध),
Chalk (खड़िया / खल्ली)
Curd (दही)
Sugar (चीनी)
Lunch (दोपहर का भोजन),
Paper (कागज),
Stone (पत्थर)
Dinner or Supper (रात्रि का भोजन)
Wheat (गेहूँ)
Gold (सोना)
Breakfast (जलपान)
Iron (लोहा)
Lime (चूना)
Wool ऊन
ध्यान दें:
Wood Material Noun है, परन्तु इससे निर्मित Chair, Table, Bench, House इत्यादि Common Noun हैं । Bread भी Material Noun है । इसलिए एक रोटी के लिए ‘ a bread ‘ का प्रयोग न करके ‘ a piece of bread ‘ का प्रयोग करते हैं ।
Abstract Noun
An abstract noun is the name of such type of thine touched but only thought of.
वह Noun जिसे हम देख या छू ( Touch ) न सकें, केवल अनुभव द्वारा समझ सकें Abstract Noun कहते है । जिस Noun से किसी गुण ,दशा अथवा कार्य का बोध हो, उसे abstract noun कहते हैं |
Examples:
Truth सच्चाई
Poverty गरीबी
Bravery बहादुरी
Good Death मत्य
Kindness दयालुता
Darkness अंधकार
Heat गर्मी
Weakness कमजोरी
Richness धनाढ्यता
Sleep नींद
Wisdom बुद्धिमानी
Laughter हसा
Beauty सुन्दरता
Honesty ईमानदारी
Happiness खुशी
Love प्यार
Greatness महानता
Childhood बचपन
(1) गुण ( Quality ) – Goodness ( भलाई ) , honesty ( ईमानदारी ) , height ( ऊँचाई ) , clever लाकी ) , wisdom ( बुद्धिमानी ) , beauty ( सुन्दरता ) , bravery ( बहादुरी ) आदि ।
(2) दशा ( State ) – Laughter ( हसी ) , slavery ( पराधीनता ) , childhood ( बचपन ) , youin sickness ( बीमारी ) , death ( मृत्यु ) आदि
(3) कार्य ( Action ) – Laughter ( हँसी ) , flight ( उड़ान ) , movement ( आन्दोलन या गति ) , चोरी ) , revenge ( बदला ) , judgement ( न्याय ) आदि ।
ध्यान दें:
- जितनी क्रियाएँ ( Actions ) हैं, वे Abstract Nouns हैं ।
जैसे — Walking (टहलना), Running ( दौड़ना ), Singing ( गाना ) इत्यादि ।
- जितने Science ( विज्ञान ) और Arts ( कलाएँ ) हैं, वे भी Abstract Nouns हैं ।
जैसे — Physics ( भौतिकी ), Mathematics ( गणित ), Painting ( चित्रकारी ) इत्यादि ।
- सभी भाषाएँ Abstract Nouns हैं ।
जैसे — Hindi ( हिन्दी ), English ( अंग्रेजी ), Russian ( रूसी ), French ( फ्रेंच ) इत्यादि ।
- जितनी बीमारियाँ ( Diseases ) हैं, वे भी Abstract Nouns हैं ।
जैसे — Headache ( सरदद ), Cancer ( कैंसर ), Jaundice ( पीलिया ) इत्यादि ।
- Abstract Noun का बहुवचन रूप ( Plural form ) नहीं होता है ।
- इसके पहले किसी भी Article ( A, An, The ) का प्रयोग नहीं होता है । विशेष परिस्थिति में The का प्रयोग हो भी सकता है, लेकिन A या An का प्रयोग कदापि नहीं ।
- Abstract Noun का आकार , वजन अथवा रंग नहीं होता । ये ऐसी वस्तुएँ हैं जिन्हें न तो हम के हैं और न छू सकते हैं । हम उन्हें केवल सोच सकते हैं , अनुभव कर सकते हैं । हम एक गुलाब ( rose ) सकते हैं , स्पर्श कर सकते हैं लेकिन उसकी ‘ सुन्दरता ‘ ( beauty ) को केवल सोच सकते है
- Common Nouns में hood , ship , cy , ry और y लगाकर Abstract Noun बनाना :
Child + hood = Childhood Boy + hood = Boyhood
Man + hood = Manhood Teacher + ship = Teachership
Friend + ship = Friendship Agent + cy = Agency
Slave + ry = Slavery Beggar + y = Beggary
- Adjective मे dom , ness , hood , cy , ice , ty लगाकर Abstract Noun बनाना :
Wise + dom = Wisdom Just + ice = Justice
White + ness = Whiteness Sick + ness = Sickness
False + hood = Falsehood Inferior + ty = Inferiority
Private + cy = Privacy Cruel + ty = Cruelty
- Verbs में ance , th , ion , red , tion लगाकर Abstract Noun बनाना ।
Attend + ance = Attendance Translate + ion = Translation
Warm + th = Warmth Hate + red = Hatred
Select + ion = Selection Admire + tion = Admiration
Exercise of What is Noun in Hindi: 1
Direction: Choose the nouns in the sentences given below and say whether they are Proper, Common, Collective, Material or Abstract nouns
Examples:
- Tendulkar is the best player in the team.
Ans. Tendulkar – Proper Noun, Player – Common Noun, Team – Collective Noun.
- Ice melts in June.
Ans. Ice – Material Noun, June – Proper Noun
Test Yourself:
- Children like sweets.
- Gold is a costly metal.
- Ram is the head boy of the class.
- Gujrat is a rich state.
- Mahatma Gandhi is known as the father of the nation.
- The Ganga is a holy river for the Hindus.
- Sympathy ( सहानुभूति ) is far greater than gold.
- The crowd is out of control.
- January is the first month of the year.
- Dr. Rajendra Prasad was intelligent since his childhood. माना
- Death is sure to come.
- Only wealth does not bring happiness.
- Health is wealth.
- Bread and butter is my favorite breakfast.
- Poverty is a blessing.
- Ankit has a car.
- The teacher taught me English.
- Sugar tastes sweet.
- The beauty of Kashmir is very attractive.
- Painting is my hobby.
Exercise: 2
Directions: Pick out the odd nouns in each of the following groups of words.
Examples: 1. Man, Woman, Doctor, Teacher, Abhishek. Ans. Abhishek
- Mohan, Patna, Rampur, Village, Vimal. Ans. Village
Test Yourself:
- Honesty, Poverty, Team, Kindness, Childhood
- Silver, Sand, Wheat, Apple, Juice
- Table, Chair, Toy, Wood, Pen
- Father, Mother, Sister, Daugther, Wisdom
- Kanpur, Allahabad, Delhi, City, India
- Grapes, Banana, Juice, Orange, Carrot
- The bench, Teacher, Chair, Class, Room
- Leader, Painter, Dancer, Music, Player
- Ghee, Pulse, Oil, Book, Ink
- Truth, Youth, Pencil, Greatness, Friendship
- River, Apple, Onion, Orange, Lemon
- History, Chemistry, Student, Physics, Grammar.
- Flock, Crowd, Darkness, Bunch, Team
- Bucket, Bowl, Plate, Bottle, Curd
- Ram, Monday, Silver, January, Holi
- Goodness, Darkness, Foolishness, Wool, Sweetness
- Girl, City, Boy, Jack, River.
- Kindness, Laughter, Weakness, Band, Bravery
- Water, Petrol, Oil, Honey, Biscuit
- Nurse, Headache, Pain, Health, Disease
Modern Classification of Noun आधुनिक अंग्रेजी व्याकरण ( Modern English Grammar )
में Noun को तीन वर्गों में बाँटा गया है
- Proper Noun ( व्यक्तिवाचक संज्ञा )
- Countable Noun ( गणनीय संज्ञा )
- Uncountable Noun ( अगणनीय संज्ञा )
1. Proper Noun: A proper noun is the name of a particular person, place, animal, day, month and things.
किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान इत्यादि के विशेष नाम को Proper Noun कहते हैं ।
Particular Person Ram Shyam, Shivam, Tom, Kuldip, Karim
Particular Place Rampur, Patana, Gorakhpur, Delhi, Kanpur
Particular Animal Pussy (Name Of a Particular Cat) Tommy (Name of a Particular Dog)
Particular Day and Month Sunday, Monday, June, July
- Countable Noun: A countable noun is the name of a thing that can be counted.
जिस Noun को हम गिन सकते हैं, उसे Countable Noun कहते हैं | Countable Noun को संक्षेप में Count Noun भी कहते हैं | इस Noun का बहुवचन भी होता है |
Example: Pen, Pencil, Man, Table, Toy, Teacher
- Uncountable Noun: An uncountable noun is the name of a thing that cannot be counted. जिस Noun को हम गिन नहीं सकते हैं उसे Uncountable Noun कहते हैं |
Example: Milk, Water, Oil, Butter, Honesty, Truth
by D Srivastva | Jan 9, 2020 | All Posts, Board Exams, Class 10th, English Language, Language
Parts of Speech in Hindi (शब्द के भेद)
When we write or speak a sentence, we use more than 2 words together in an organized manner. When we use different types of the word they have different natures, and every single word is given a name like Noun, Pronoun, Verb, etc. Parts of Speech in Hindi
Parts of Speech को हिंदी में समझने के लिए हम हिंदी के शब्द भेद का सहारा लेंगे, क्यूंकि हिंदी के शब्द भेद और Parts of Speech in Hindi में सिर्फ शब्दों का ही अंतर है |
Parts of Speech in Hindi (शब्दों के प्रकार)
वाक्य में प्रयोग के अनुसार शब्दों (Word) को अलग-अलग भागों में बाटा जाता है | इन्हे ही शब्द भेद कहते हैं | Parts of speech in Hindi are similar to the ones which we have in English. There are eight parts of speech namely:
अब प्रश्न उठता है की English में Parts of Speech कितने होते हैं?
Parts of Speech हिंदी और अंग्रेजी में 8 होते है |
1) Noun (संज्ञा Sangya)
2) Pronoun (सर्वनाम Sarvnam)
3) Adjectives (विशेषण Visheshan)
4) Verb (क्रिया Kriya)
5) Adverb (क्रिया विशेषण Kriya Visheshan)
6) Preposition (सम्बन्ध सूचक Sambadndh Suchak)
7) Conjunction (संयोजक Sanyojak)
8) Interjection (विषमयादि सूचक शब्द Vishmyadi Suchak )
The name of person, place or thing is called a Noun, All Naming words are called Noun.
किसी भी व्यक्ति, स्थान, वस्तु आादि के नाम को संज्ञा कहते है।
Example:
- Komal, Mohan, Ram, Seeta (किसी व्यक्ति का नाम।)
- Mumbai, Allahabad, Lucknow (किसी स्थान का नाम।)
- Tabel, Chair (किसी वश्तु का नाम )
The following sentences contain examples of Nouns (Bold with underlined words):
- Mohan is writing a letter.
- Shyam in singing a song.
2) Pronoun (सर्वनाम Sarvnam)
The word used in the place of the noun is called Pronoun.
संज्ञा के बदले आए हुए शब्द को उसे सर्वनाम कहते है।
For Example:
● (वह) – he or she
● (वो) – they
● हम) – We
● तुम) – You
● मै) – I
● तुम्हारा) – Your
The following sentences contain examples of Pronouns:
Ram is playing cricket. He is a good player.
प्रथम वाक्य में Ram का प्रयोग Noun के रूम में किया गया है जबकि दूसरे वाक्य में Ram के स्थान पर He का प्रयोग किया गया है, इस He को ही Pronoun कहते हैं |
3) Adjectives ( विशेषण, Vesheshan )
The word which gives additional information about Noun and Pronoun is called Adjective (Visheshan)
जो शब्द किसी भी संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बतलाता है उसे विशेषण कहते हैं।
Example:
Radha is a brave girl – राधा एक बहादुर लड़की है |
Radha – Noun.
Brave – Adjective
For example:
• clever-Chatur (चतुर)
• Black – Kala (काला)
• Long – Lamba (लंबा)
• Small – Chotta (छोटा)
• Young- Yuva (युवा)
The following sentences contain examples of Adjective:
Meera is a Good Girl.
She is very clever
प्रथम वाक्य में Meera (Noun) की विशेषता Good बता रहा है, इस लिए ये शब्द adjective (एडजेक्टिव) है |
दूसरे वाक्य में She (Pronoun ) की विशेषता clever बता रहा है, इसलिए ये शब्द adjective (एडजेक्टिव) है |
The verb is the word that works something about the noun or expresses some action by the noun.
किसी वस्तु या चीज़ के विषय मे कहने के लिए जिस शब्द का प्रयोग होता है। वही शब्द kriya (क्रिया) है।
For Example:
• Eating – Khata hai (खाता है)
• Going – Jaata hai (जाता है)
• Sleeping – Sota hai (सोता है)
• Singing – Gaata hai (गाता है)
Note:
The following sentences contain examples of the verb (Kriya क्रिया ):
• Sita is eating sweets. सीता मिठाई खा रही है।
• Shaan is singing song.शान गाना गा रहा है।
5) Adverb: ( क्रिया-विशेषण ) Kriya Vesheshan
An adverb is the word or group of words that shows the quality of the verb (वर्ब). These words give additional information about the verb, adjectives, and other adverbs in a sentence.
क्रिया को विशलेषित करने अथवा विशेषता बताने वाले शब्द को क्रिया-विशेषण (Kriya Visheshan) कहते है।
For Example:
• Slowly- धीरे-धीरे
• Fast – तेज़
The following sentences contain examples of Adverb.
Gopal eats food slowly. राम धीरे-धीरे खाना खाता है
The rabbit is running very fast. खरगोश बहुत तेज दौड़ रहा है
प्रथम वाक्य में slowly शब्द eat की विशेषता बता रहा है की खाने का काम धीरे-धीरे खाता है |
दूसरे वाक्य में very fast शब्द run की विशेषता बताता है की दौड़ने का काम तेजी से हो रहा है |
6) Preposition (सम्बन्धबोधक, Sambandhbodhak):
Preposition has described the relationship between the nouns, verbs, and adjectives, preposition are words that also tell about the relationships of nouns and pronouns with other words of the sentence.
For Example:
• In
• into
• on
• upon
• under
• behind
• beside
• between
• in front of
The following sentences contain examples of Preposition:
Ram is seating behind Shyam.
Mukul is playing in front of the house.
प्रथम वाक्य में राम और श्याम के बीच behind शब्द सम्बन्ध जोड़ रहा है|
दूसरे वाक्य में Mukul और house के बीच में playing in front of सम्बन्ध जोड़ रहा है |
7) Conjunction (समुच्चयबोधक):
Words which do the job of joining two parts of sentences or two sentences are known as a conjunction.
वो शब्द जो किसी दो या दो से अधिक वाक्यों के भाग को अथवा वाक्यों को आपस में जोड़ते हैं उन्हें conjunction (कंजक्शन) कहते हैं |
For Example:
And- और
But – लेकिन
because of- क्योंकि
The following sentences contain examples of conjunction:
Gopal and Heera both are brothers. गोपाल और हीरा भाई है।
Give money to Roshan because he is a good person. रोशन को पैसे दे दो क्योकि वो अच्छा आदमी है |
8) Interjection (Vismayadibodhak, विस्मयादिबोधक):
An interjection is used to express sudden feeling or emotions that originate due to sudden joy or sadness and other emotions.
वह वाक्य जिसमे गहरी अनूभूति हो उसे विस्मयादिबोधक कहते है।
For example:
• oh!- अरे!
• wish! – काश!
• Wow! – वाह!
The following sentences contain examples of Interjection in Hindi.
oh! This is very beautiful. अरे! ये तो बहुत सुदंर है।
Wow! The weather is so pleasant. वाह: कितना अच्छा मौसम है।
by D Srivastva | Oct 3, 2019 | Bihar TET, CTET Exam, Hariyana TET, Hindi Language, Language, Rajasthan TET, TET, UP Super TET, UPTET Exam
Jeevan Parichay of Bhartendu Harishchand
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जीवन परिचय
आज के इस पोस्ट में हम Jeevan Parichay of Bhartendu Harishchand के बारे में पढ़ेंगे |
आधुनिक हिन्दी साहित्य के जन्मदाता भारतेन्दु हरिश्चन्द्र इतिहास – प्रसिद्ध सेठ अमीचन्द के प्रपौत्र गोपालचन्द्र ‘ गिरिधरदास ‘ के ज्येष्ठ पुत्र थे । इनका जन्म 9 सितम्बर , सन् 1850 ई० को काशी में हुआ था । मात्र पाँच वर्ष की अवस्था में माता पार्वती देवी तथा दस वर्ष की अवस्था में पिता गोपालचन्द्र इन्हे छोड़ कर चले गये । विमाता मोहन बीबी का इन पर विशेष प्रेम न होने के कारण इनके पालन – पोषण का भार कालीकदमा दाई और तिलकधारी नौकर पर था । पिता की असामयिक मृत्यु के बाद क्वीन्स कालेज , वाराणसी में तीन – चार वर्ष तक अध्ययन किया ।
-
जन्म – 9 सितम्बर , सन् 1850 ई० ।
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मृत्यु – 6 जनवरी , सन् 1885 ई० ।
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जन्म – स्थान – काशी ( उ0 प्र0 ) ।
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पिता – गोपालचन्द्र ‘ गिरिधरदास ।
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माता – पार्वती देवी ।
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भाषा — ब्रजभाषा , खड़ीबोली ।
भारतेन्दु युग के प्रवर्तक ।
उस समय काशी के रईसों में केवल राजा शिवप्रसाद ‘सितारेहिन्द ‘ ही अंग्रेजी पढ़े – लिखे थे । इसलिए भारतेन्दु जी अंग्रेजी पढ़ने के लिए उनके पास जाया करते थे और उन्हें गुरु – तुल्य मानते थे |
उनको काव्य-प्रतिभा अपने पिता से विरासत के रूप में मिली थी। उन्होंने पांच वर्ष की अवस्था में ही निम्नलिखित दोहा बनाकर अपने पिता को सुनाया और सुकवि होने का आशीर्वाद प्राप्त किया-
-
लै ब्योढ़ा ठाढ़े भए श्री अनिरुद्ध सुजान।
-
बाणासुर की सेन को हनन लगे भगवान॥
कालेज छोड़ने के बाद इन्होंने स्वाध्याय द्वारा हिन्दी , संस्कृत और अंग्रेजी के अतिरिक्त मराठी , गुजराती , बंगला , मारवाड़ी , उर्दू , पंजाबी अदि भारतीय भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया ।
तेरह वर्ष की अल्पावस्था में इनका विवाह काशी के रईस लाला गुलाब राय की पुत्त्री मन्ना देवी से हुआ । इनके दो पुत्र और एक पुत्री थी । पुत्रों की बाल्यावस्था में ही मृत्यु हो गयी थी , जबकि पुत्री विद्यावती सुशिक्षिता थी ।
भारतेन्दु जी ने अनेक स्थानों की यात्राएँ कीं । ऋण लेने की आदत भी इन पर पड़ गयी । ऋणग्रस्तता , कौटुम्बिक तथा अन्य सांसारिक चिन्ताओं सहित क्षय रोग से पीड़ित भारतेन्दु जी का निधन 6 जनवरी , 1885 ई0 को चौंतीस वर्ष चार महीने की अवस्था में हो गया ।
भारतेन्दु जी ने हिन्दी – साहित्य की जो समृद्धि की वह सामान्य व्यक्ति के लिए असंभव है । ये कवि , नाटककार , निबंध लेखक , सम्पादक , समाज – सुधारक सभी कुछ थे । हिन्दी गद्य के तो ये जन्मदाता समझे जाते हैं । काव्य – रचना भी ये बाल्यावस्था से ही करने लगे थे ।
इनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर सन् 1880 ई० में पण्डित रघुनाथ , पं० सुधाकर द्विवेदी , पं० रामेश्वरदत्त व्यास आदि के प्रस्तावानुसार हरिश्चन्द्र को ‘ भारतेन्दु ‘ की पदवी से विभूषित किया गया और तभी से इनके नाम के साथ भारतेन्दु शब्द जुड़ गया ।
इन्होंने हिन्दी भाषा के प्रचार के लिए आन्दोलन चलाया । इस आन्दोलन को गति देने के लिए पत्र – पत्रिकाओं का प्रकाशन एवं सम्पादन किया । इन्होंने सन् 1868 ई0 में ‘ कवि वचन सुधा’ और सन् 1873 ई० में ‘ हरिश्चन्द्र मैगजीन ‘ का सम्पादन किया था । 8 अंकों के बाद हरिश्चन्द्र मैगजीन ‘ का नाम ‘ हरिश्चन्द्र चन्द्रिका ‘ हो गया । हिन्दी – गद्य को नयी चाल में ढालने का श्रेय ‘ हरिश्चन्द्र चन्द्रिका ‘ को ही है ।
भारतेन्दु हरिश्चंद की प्रमुख कृतियाँ
भारतन्दु जी की कृतियाँ अनेक विधाओं में उल्लेखनीय हैं । नाटक के क्षेत्र में इनकी देन सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है । इन्होने मौलिक और अनूदित सब मिलाकर 17 नाटकों की रचना की है , जिनकी सूची इस प्रकार है
1 . विद्या सुन्दर , 2 . रत्नावली , 3 . पाखण्ड विडम्बन , 4 . धनंजय विजय , 5 . कर्पूर मंजरी , 6 . मुद्राराक्षस , 7 . भारत जननी , 8 . दुर्लभ बंधु , 9 . वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति , 10 . सत्य हरिश्चन्द्र , 11 . श्रीचंद्रावली , 12 विषस्य विषमौषधम् , 13 . भारत दुर्दशा , 14 . नीलदेवी , 15 . अंधेर नगरी , 16 . सती प्रताप , 17 . प्रेम जोगिनी ।
नाटकों की ही भाँति इनके निबंध भी महत्त्वपूर्ण हैं । इनके प्रमुख निबन्ध संग्रह ‘ सुलोचना ‘ , ‘ परिहास वंचक ‘ , ‘ मदालसा ‘ , ‘ लीलावती ‘ एवं ‘ दिल्ली दरबार दर्पण ‘ हैं ।
भारतेन्दु ने इतिहास , पुराण , धर्म , भाषा , संगीत आदि अनेक विषयों पर निबंध लिखे हैं । इन्होंने जीवनियाँ और यात्रा – वृत्तान्त भी लिखे हैं । शैली की दृष्टि से भारतेन्दु ने वर्णनात्मक , विचारात्मक , विवरणात्मक और भावात्मक सभी शैलियों में निबंध – रचना की है ।
इनके द्वारा लिखित ‘ दिल्ली दरबार दर्पण ‘ वर्णनात्मक शैली का श्रेष्ठ निबन्ध है । इनके यात्रा – वृत्तान्त ( सरयूपार की यात्रा , लखनऊ की यात्रा आदि ) विवरणात्मक शैली में लिखे गये हैं । ‘ वैष्णवता और भारतवर्ष ‘ तथा ‘ भारतवर्षोनति कैसे हो सकती है ? ‘ जैसे निबंध विचारात्मक हैं ।
भारतेन्दु की भावात्मक शैली का रूप इनके द्वारा लिखित जीवनियाँ ( सूरदास , जयदेव , महात्मा मुहम्मद आदि) तथा ऐतिहासिक निबंधों में बीच – बीच में मिलता है । इसके अतिरिक्त इनके निबंधों में शोध – शैली , भाषण – शैली , स्तोत्र – शैली , प्रदर्शन शैली , कथा – शैली आदि के रूप भी मिलते हैं । इनकी भाषा व्यावहारिक , बोलचाल के निकट , प्रवाहमयी और जीवंत हैं ।
इन्होंने काव्य में ब्रजभाषा का प्रयोग किया , परन्तु गद्य के लिए खड़ीबोली को अपनाया । भाषा को सजीव बनाने के लिए इन्होंने लोकोक्ति और मुहावरों का सटीक प्रयोग किया ।
‘ भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है ? ‘ निबंध दिसम्बर सन् 1884 ई0 में बलिया के ददरी मेले अवसर पर आर्य देशोपकारणी सभा में भाषण देने के लिए लिखा गया था । इसमें इन्होने ने कुरीतियों और अंधविश्वासों । को त्यागकर अच्छी – से – अच्छी शिक्षा प्राप्त करने , उद्योग – धंधों को विकसित करने , सहयोग एवं एकता पर बल देने तथा सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भर होने की प्रेरणा दी ।