Mere Sapno Ka Bharat Par Nibandh
मेरे सपनों का भारत पर निबंध
Page Content
ये Mere Sapno Ka Bharat Par Nibandh विभिन्न बोर्ड जैसे UP Board, Bihar Board और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं को दृश्टिगत रखते हुए लिखा गया है, अगर आपके मन सवाल हो तो comment लिख कर पूछ सकते हैं |
इस शीर्षक से मिलते-जुलते अन्य सम्बंधित शीर्षक –
- मेरा देश और मेरे सपने
- मेरा भारत कैसा हो ?
Mere Sapno Ka Bharat Par Nibandh आलावा इसे भी पढ़ें :
- Providing Your Panel With the Teaching and Mentorship They Need
- How to Manage Works with a VDR
- How you can Implement the Best Data Bedrooms
- What You Need to Know About Web page design IT
- MS in Business Analytics Online
Mere Sapno Ka Bharat Par Nibandh की रूपरेखा
1- प्रस्तावना
इसमें सन्देह नहीं कि प्रत्येक देश का निवासी अपने देश पर प्राण न्योछावर करने को तत्पर रहता है । वह अपने देश को ही श्रेष्ठ मानता है ।
मैं भी अपने देश से प्रेम करता हूँ और कह सकता हूँ सम्पूर्ण देशों से अधिक जिस देश का उत्कर्ष है, वह देश मेरा देश है, वह देश भारतवर्ष है। जब संसार में सभ्यता का विकास भी नहीं हुआ था , तब भारत के ऋषियों ने गहन ज्ञान पर आधारित वेद जैसे ग्रन्थों की रचना कर डाली थी।
उन्होंने घने वनों में , नदी के तट पर या पर्वतों की गुफाओं में रहते हुए, कन्दमूल – फल खाकर , सरल एवं सादा जीवन व्यतीत करके मनुष्य के मन को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित किया था।
आध्यात्मिक रूप से ही नहीं, भौतिक रूप से भी भारत सम्पन्न देश रहा है। प्राचीनकाल में तो भारत ‘ सोने की चिड़िया ‘ कहलाता था । विज्ञान , ज्योतिष , नक्षत्र – विद्या , गणित , चिकित्साशास्त्र , अर्थशास्त्र आदि विषयों के विद्वानों ने भारत की पावन धरती पर ही जन्म लिया था।
उन्होंने अनेक देशों को सभ्यता एवं ज्ञान की शिक्षा भी दी थी । मेरे देश का नाम ‘ भारत ‘ ; प्रतापी राजा दुष्यन्त और शकुन्तला के पुत्र ‘ भरत ‘ के नाम पर पड़ा। भारत प्राचीनकाल से ही एक महान् देश रहा है ।
हमें अपने इस महान् देश के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए ।
कविवर नीरज ने भारत – भूमि के सम्बन्ध में लिखा है
“रही जहाँ पर नित्य विहरती मधु की बेला ,
अंचल – अंचल नित्य नवामोदों से खेला ।
जिसका गौरव लिए मही , निज अंचल भरती ,
अखिल धरा पर यही सभ्यताओं की धरती । “
2- मेरा गौरवशाली भारत
मेरा देश एक विशाल देश है। इसमें 28 राज्य और 7 केन्द्रशासित प्रदेश हैं ।
यहाँ विभिन्न जातियों के लोग रहते हैं । भारत के उत्तर में हिमालय और दक्षिण में हिन्द महासागर हैं । इस भारत – भूमि में अनेक नदियाँ , मैदान और मरुस्थल हैं ।
भारत कृषिप्रधान देश है । यहाँ गेहूँ , मक्का , ज्वार , बाजरा , चना , धान , गन्ना आदि फसलें होती हैं ।
भारत में ही पृथ्वीराज , चन्द्रगप्त , अशोक , विक्रमादित्य आदि अनेक वीर पुरुषों ने जन्म लिया है ।
हरिद्वार , काशी , मथुरा , द्वारका , प्रयाग , अजमेर आदि भारत के पावन तीर्थ – स्थल हैं । यहाँ अनेक दर्शनीय स्थल भी हैं ।
स्वामी विवेकानन्द , स्वामी दयानन्द , महात्मा गांधी , भगतसिंह , रामकृष्ण परमहंस , चन्द्रशेखर आजाद , शिवाजी , गुरु गोविन्दसिंह आदि महापुरुषों ने भारत की भूमि को अपने श्रेष्ठ कर्मों की सुगन्ध से महकाया है ।
यहाँ तेल , गैस , लोहा , कोयला , हीरे , सोने आदि की खानें और भण्डार हैं । यह पूर्ण रूप से समृद्ध एवं समुन्नत देश है ।
3- आधुनिक भारत
प्राचीनकाल में हमारा देश मुसलमान आक्रमणकारियों का गुलाम बना । उनके चंगुल से छूटा भी न था कि यहाँ अंग्रेजों का आधिपत्य हो गया । अनेक युद्धों और निरन्तर संघर्ष के पश्चात् यह उस गुलामी से मुक्त हुआ और धरि – धीरे यहाँ विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति होती गई।
आज हम देखते हैं कि हमने प्रगति तो की है, किन्तु हम स्वयं ही अपना विनाश करने पर भी तुले हैं । देश में भ्रष्टाचार , चोरी , अनीति और जमाखोरी आदि ने बुराइयों ने जन्म ले लिया है । देश की सीमाओं पर युद्ध के बादल मॅडरा रहे हैं । सर्वत्र भय आतंक और विक्षोभ का वातावरण व्याप्त है ।
ऐसे में में अपने प्रिय भारत के लिए अनेक सपने देखा करता हूँ और इन सब करीतियों को समाप्त कर देना चाहता हूं । . .
4. मेरा देश और मेरे सपने
प्रत्येक भारतवासी जो अपने देश से प्यार करता है, इसके प्रति यही सपने देखता पुनः रामराज्य की स्थापना हो, हमारा राष्ट्र विश्वभर में महान् बने । मैं भी अपने भारत के सुखमय भविष्य के सपने देखता हूँ। मैंने भावी भारत के लिए कुछ सपने सँजोए हैं , जिनमें मैंने भव्य एवं महान् भारत की तस्वीर देखी है।
मैंने भावी भारत के सपने कुछ इस प्रकार देखे हैं-
( क ) राजनैतिक उत्कर्ष – मैं चाहता हूँ कि मेरा भारत जन – जन के लिए मंगलकारी और लोकतान्त्रिक दृष्टि से विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बने । जन – जन में राजनैतिक जागरूकता उत्पन्न हो और देश का प्रत्येक नागरिक राष्ट्रहित के सम्बन्ध में सोचे । उनमें परस्पर सद्भाव स्थापित हो।
विश्व – शान्ति की वंशी के स्वर दिग्दिगन्त में गूंजे | मेरी आकांक्षा है कि मेरा भारत ऐसा राजनैतिक उत्कर्ष लिए हुए हो कि किसी भी देश की कलुषित दृष्टि हमारे देश पर न पड़े । .
( ख ) राष्ट्रीय एकता – हमारे देश में विभिन्न धर्मो और जातियों के लोग रहते हैं । उनमें धार्मिक एवं साम्प्रदायिक झगड़े होते रहते हैं । सर्वत्र जातिवाद का बोलबाला है । ऐसा प्रतीत होता है जैसे हमारे राष्ट्र के नागरिक राष्ट्रीय एकता की महत्ता को पूर्णतः विस्मृत कर चुके हैं ।
मैं उस दिन के सपने देखता हूँ जब भारत से जातिवाद और साम्प्रदायिकता पर आधारित झगड़ों का पूर्णतः अन्त हो जाएगा , भाषागत विरोध नहीं होगा और सम्पूर्ण देश एकता के सूत्र से बँधा होगा और सब कहेंगे
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना।
हिन्दी हैं हम , वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा ॥
( ग ) आर्थिक समृद्धि – मैं सोचता हूँ मेरा भारत पुनः ‘ सोने की चिड़िया ‘ बन जाए । यहाँ कोई भूखा न रहे , प्रत्येक प्राणी के तन पर वस्त्र और रहने के लिए आवास हो । गरीबी , बेरोजगारी और अशिक्षा का प्रभुत्व समाप्त हो तथा प्रत्येक दिशा में ‘ सुजलां सुफलां मलयंज शीतलां शस्यश्यामलां मातरम् ‘ का स्वर गूंज उठे ।
( घ ) आध्यात्मिक विकास – भारतभूमि पुण्यभूमि है, अध्यात्मभूमि है । मेरी कामना है कि मानव भौतिकवादी सुखों के मोह को त्यागकर आध्यात्मिकता की ओर उन्मुख हो । मेरे मानस – पटल पर भावी भारत का जो चित्र है , उसमें मैं अपने देश को समस्त विश्व में मंगल – वर्षा करनेवाले अक्षय आलोक – केन्द्र के रूप में देखता हूँ । .
( ङ ) विश्वमंगलकारिणी भारतीय संस्कृति का प्रसार – मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत हो , जो पुनः ‘ वसुधैव कुटुम्बकम् ‘ का घोष करे । भारतभूमि से मानव – कल्याण की कामना को व्यक्त करनेवाली इन पंक्तियों को सभी भारतवासी समवेत स्वर में गा उठे सर्वे भवन्तु सुखिनः , सर्वे सन्तु निरामया । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चिद दःख भाग्भवेत ॥
( च ) रामराज्य की स्थापना – गोस्वामी तुलसीदास ने अपने महान् ग्रन्थ ‘ श्रीरामचरितमानस ‘ में लिखा है – दैहिक दैविक भौतिक तापा । राम राज नहिं काहहिं ब्यापा । रामराज्य का ऐसा साकार रूप ही मेरे सपनों में ‘ उतरता है । मेरी अभिलाषा है कि भारत में रामराज्य का आदर्श रूप पुनः प्रतिष्ठित हो ।
( छ ) वैज्ञानिक विकास – मैं चाहता हूँ कि भारत विश्व में वैज्ञानिक उत्कर्ष का महानतम केन्द्र बने । यहाँ अनेक वैज्ञानिक साधनों का विकास एवं निर्माण हो ; किन्तु इनके द्वारा विश्व – विनाश का नहीं , अपितु विश्व – शान्ति और समृद्धि का द्वार खुले ।
( ज ) विश्व का आदर्श देश – मेरे सपनों का भारत वह होगा जो राजनैतिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक आदि विभिन्न दृष्टियों से उत्कर्ष को प्राप्त होगा और एक दिन भारत का प्रत्येक नागरिक सहज ही यह गा उठेगा –
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा ।
हम बुलबुलें हैं इसकी , यह गुलिस्ताँ हमारा ॥
7- उपसंहार :
भावी भारत के सपनों की पूर्णता के लिए यह स्वश्यक है कि हमारे देश का प्रत्येक नागरिक देश की प्रत्येक कुरीति को समूल रूप से नष्ट करने का दृण संकल्प करे, तभी मेरे स्वप्न मूर्तरूप के सकेंगे |
अगर आपको ये लेख Mere Sapno Ka Bharat Par Nibandh पसंद आये तो शेयर जरूर करें |
- परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध
- दूरदर्शन ( टेलीविजन ) पर निबंध
- यदि मैं प्रधानमन्त्री होता निबंध
- गंगा नदी पर निबंध – गंगा की आत्मकथा
- भारतीय कृषि और किसान पर निबंध
- विज्ञान की उपलब्धियाँ | विज्ञान : एक वरदान
- विज्ञान : वरदान या अभिशाप
- कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र – पुरुष
- मेरे सपनों का भारत पर निबंध
- पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध