किताबों से से दूर जाती आज की पीढ़ी

आज की युग का इस सच यह है चीज हमारे देश की युवा पीढ़ी के अंदर किताबें पढ़ने की आदत कम हो रही है अर्थात हमारी युवा पीढी किताबों से अपनी दूरी बना रही है आखिर इसका कारण क्या है यह जानने के लिए यह जानना बेहद जरुरी है कि हमारी युवा पीढ़ी फुर्सत के समय करती क्या है भारत में करीब 47 करोर आबादी 13 से 35 वर्ष की आयु के युवाओं की है, जिसमें 34 करोड़ साक्षर हैं। जाहिर सी बात है कि हर युवा व्यक्ति को रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाता है।
इस कारण बेरोजगार रहने वाले ज्यादातर युवा अपना टाइमपास करने में लगे रहते हैं कुछ लोग गांव कस्बों और शहरों की खाली पड़ी हुई जगहों में क्रिकेट फुटबॉल या कबड्डी खेलने में लगे रहते हैं तो युवाओं का एक बड़ा वर्ग मोबाइल पर टाइम पास करने में व्यस्त है।
चाय और पान की दुकानों पर भी अक्सर युवाओं के झुंड देखने को मिल जाते हैं जो गप्प बाजी में व्यस्त रहते हैं।
बहुत कम ही ऐसे नौजवान देखने को मिलते हैं जो पढ़ने में रुचि लेते हैं और उनके हाथ में कोई किताब पत्रिका या अखबार होता है जिसे भी पढ़ रहे हैं।
पिछले 25 वर्षों में हमारे देश में कई आर्थिक बदलाव आए हैं जिन्होंने हमारी समूची सामाजिक संरचना व सांस्कृतिक परिदृश्य को एक तरह से बदल दिया है हमारे छोटे बड़े शहरों में मॉल संस्कृति का विस्तार हुआ है मल्टीप्लेक्स और रेस्टोरेंट की संख्या तो बढ़ती गई है लेकिन सार्वजनिक  पुस्तकालयों की संख्या सीमित होती चली गई है किताबें बेचने वाली दुकानें और बाजार बंद होते देखे गए हैं इसका कारण है युवाओं में पुस्तकें पढ़ने की आदत का लगातार कम होते चले जाना।

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